सावन बीता जा रहा...
(सावन मास में अपने प्रियतम के विरह में तड़पती नायिका के मनोभाव!)
रंग लाल-लाल, उड़े गुलाल
रिमझिम सावन बरसे रे
जिया बेहाल, लिए मलाल
तोहे देखन को तरसे रे!
नैना मोरे भीगे हुए हैं
बदली सा पसीजे हुए हैं
सावन बीता जा रहा साजन
तू क्यों न आया!
सोमवार का व्रत करूँ मैं
मांगू मिलन तुझसे
मोहे छोड़न है अब जग को
का करूँ मैं अब उससे!
लाली मेरी कर दे सिंदूरी
सही न जाये अब ये दूरी
काहे पिया, मोहे दे रहा सजा
भीगता मौसम भिगाया!
सावन बीता जा रहा साजन
तू क्यों न आया!
बहे पुरवाई, मेरी निंदिया चुराई गयी
बिना खंजर के, हाये मैं मराई गयी
आंख खुले तो देखन चाहूं तोहे
काली बदली के पीछे जैसे मैं छिपाई गयी।
अब आ जा, हाये सजना सांवरिया
कर दे उजारा, सहा न जाये अंधियारा
आंख जो खोलूँ, तोहे- तोहे देखूं
बरसती आँखियो को मैं सेकूँ
भूले से ही सही आ जा, आ जा ना
ओ' तपन इस दिल की मिटा जा ना
मोरे मनबसिया, हे रंगरसिया
अरे परदेशिया है, तुझको बुलावा
सावन बीता जा रहा साजन
तू क्यों न आया!
सावन बीता जा रहा साजन
तू क्यों न आया!
#MJ
#प्रतियोगिता
ऋषभ दिव्येन्द्र
04-Aug-2021 02:21 PM
वाह....वाह....वाह बन्धु 👌👌 विरह का बड़ी ही खूबसूरती से वर्णन किया है आपने 👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
04-Aug-2021 04:40 PM
Dhanyawad bhai
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Aliya khan
04-Aug-2021 07:49 AM
Behtareen
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मनोज कुमार "MJ"
04-Aug-2021 04:40 PM
Shukriya
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Swati chourasia
03-Aug-2021 08:07 PM
Very beautiful
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मनोज कुमार "MJ"
04-Aug-2021 04:40 PM
Shukriya swati ji
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